हिंदी साहित्य के सभी कवियों का सार Hindi sahitya ke sabhi kaviyon ka sar

हिंदी साहित्य के सभी कवियों का सार Hindi sahitya ke sabhi kaviyon ka sar

कवि /  लेखक
जन्म
स्थान 
रचनाएं
विशेष विवरण
कबीर दास जी
14 वी- 15 वी शताब्दी
काशी
बीजक, साथी, सबद , रमैनी
नीमा एवं नीरू को कबीर जी काशी के लहरतारा तालाब के पास मिले। उन्होंने उनका पालन पोषण किया। कबीर जाति से जुलाहा थे । कबीर जी पंचगंगा घाट पर सीढ़ियों से गिर पड़े और रामानंद के चरणों में आ पड़े तो रामानंद के मुंह से राम राम शब्द निकले। इन्हीं राम को कबीर ने अपना दीक्षा मंत्र बना दिया। कबीर के कमल एवं कमाली दो संताने थी। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे। कबीर जी की वाणी का संग्रह डीजे के नाम से प्रसिद्ध है। 119 वर्ष की अवस्था में मृत्यु हुई।
मलिक मोहम्मद जायसी
1467
जायस नगर उत्तर प्रदेश
पद्मावत, अखरोट, आखिरी कलाम
सूफी काव्य धारा के कवि थे।पिता मलिक राजे थे। जायसी कुरूप एवं काने थे। शेरशाह ने उनकी बेज्जती की थी।  पद्मावत में हीरामन तोता पद्मिनी   सौंदर्य की प्रशंसा करता है।
सूरदास जी
1540सूरदास जी का जन्म कब हुआ 
सीजी नामक गांव में
सूरसागर, सुर लहरी, भ्रमरगीत, साहित्य लहरी, सूरपच्चीसी, नल दमयंती
सूरदास जी के गुरु वल्लभाचार्य थे। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट थे।  जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ। विद्वानों का मानना है कि सूरदास जन्मांध नहीं थे।
मीराबाई जी
1560
कुर्की गांव में 
गीत गोविंद पर टीका, नरसी जी रो मायरो, राधे गोविंद
इनका विवाह उदयपुर के महाराणा भोजराज के साथ हुआ था। राणा सांगा उनके ससुर थे ।
तुलसीदास जी
1554
राजापुर गांव में
रामचरितमानस, विनय पत्रिका, गीतावली, कवितावली, जानकी मंगल
इनके गुरु नरहरी दास जी  थे। इनके पिता आत्माराम दुबे थे। उनकी पत्नी  रत्नावली एवं उनकी माता हुलसी थी ।
पद्माकर
1753
बांदा नामक स्थान 
पदमा भरण, जगत विनोद, गंगा लहरी
यह तेलंग ब्राह्मण थे। उनके पिता मोहनलाल पुत्र थे। जयपुर नरेश सवाई प्रताप सिंह ने कवि शिरोमणि की उपाधि दी। 
कवि बिहारी
1603
ग्वालियर में
बिहारी सतसई 
इनके पिता केशवराय थे। यह जयपुर नरेश मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी  थे। इन्होंने राजा को रानी के प्रेम पाश से मुक्त करवाया।
घनानंद
1746
दिल्ली में
सुजान सागर
यह मोहम्मद शाह रंगीली के दरबारी थे। वहां सुजान नामक नृत्य की पर आ सकती थी। वृंदावन जाकर वैराग्य धारण किया और वियोग रस की कविताएं लिखी 
कवि भूषण
1613
कानपुर में 
शिवराज भूषण, शिवा बावनी, छत्रसाल दशक 
इनकी भाभी ने ताना दिया नमक कमा कर लाए हो? उन्होंने तब घर छोड़ दिया। वीर शिवाजी के लिए दरबारी थे। चित्रकूट नरेश रुद्र सोलंकी ने इन्हें भूषण की उपाधि दी। रीतिकाल के एकमात्र कवि है जिन्होंने वीर रस  मैं कविता लिखें।
भारतेंदु हरिश्चंद्र 
1850
काशी में 
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति अंधेर नगरी ,मुद्राराक्षस ,फूलों का गुच्छा 
पिताजी गोपाल चंद भी एक कवि थे। काशी के विद्वानों ने उन्हें  भारतेंदु( भारत का चंद्रमा)  उपाधि दी । 18 वर्ष की आयु में उन्होंने कवि वचन सुधा नामक पत्रिका निकाली। 
महावीर प्रसाद द्विवेदी 
1864
रायबरेली उत्तर प्रदेश 
सरस्वती पत्रिका का संपादन, हिंदी भाषा की उत्पत्ति 
उनके पिता का नाम राम सहाय था।  इन्होंने रेल विभाग में नौकरी की 
मैथिलीशरण गुप्त
1886
झांसी उत्तर प्रदेश 
साकेत, भारत भारती, पंचवटी 
यह दद्दा नाम से प्रसिद्ध थे
जयशंकर प्रसाद
1889
काशी में
कामायनी,   आंसू , झरना, लहर
प्रसाद जी वीर रस के प्रख्यात कवि के कामायनी इसका उदाहरण है। 
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
1896
बंगाल में
कुकुरमुत्ता अनामिका आनंदमठ का हिंदी अनुवाद,नई पत्ते 
क्रांतिकारी कवि थे।
महादेवी वर्मा
1907
उत्तर प्रदेश में 
यामा दीपशिखा अतीत के चलचित्र
महादेवी वर्मा जी महात्मा गांधी जी के संपर्क में आने के बाद समाजसेवी बनी। इन्होंने नारी शिक्षा के प्रसार हेतु प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की एवं प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया। हिंदी का प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1982 में जामा हेतु। पद्म विभूषण पुरस्कार 1988 में।
सुमित्रानंदन पंत
1900
अल्मोड़ा उत्तर प्रदेश 
वीणा, वाणी, युगपथ, चिदंबरा
पंत जी प्रकृति के सुकुमार कवि कह जाते हैं। पंत जी ने महात्मा गांधी जी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर अपने पढ़ाई को बीच में छोड़ा। सन 1968 में चिदंबरा हेतु ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। साहित्य अकादमी पुरस्कार 1960 में कला और बूढ़ा चांद हेतु मिला।
  रामधारी सिंह दिनकर
1908
बिहार में 
उर्वशी कुरुक्षेत्र अर्धनारीश्वर
राष्ट्र भक्त कवि थे। इनके पिता साधारण किसान थे।
हरिवंश राय बच्चन
1907
इलाहाबाद के प्रतापगढ़ जिले में 
मधुबाला मधुशाला मधु कलश, क्या भूलूं क्या याद करूं
पत्नी का नाम श्यामा था। आप राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी थे। दो चट्टानें रचना हेतु साहित्य अकादमी का पुरस्कार भी मिला। अमिताभ बच्चन के पिता जी  थे। हालावाद के प्रवर्तक थे।
नरेंद्र शर्मा 
1913
बुलंदशहर उत्तर प्रदेश में 
मिट्टी और फूल, प्रवासी के गीत
बी आर चोपड़ा महाभारत बना रहे थे, तो नरेंद्र शर्मा उनके सलाहकार की भूमिका निभा रहे थे। 
नागार्जुन
1911
बिहार में
सतरंगी पंखों वाली, वरुण के बेटे,  तालाब की मछलियां, युग धारा
नागार्जुन मैथिली भाषा में यात्री नाम से लेखन करते थे। 
हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय 
1911
उत्तर प्रदेशमें 
शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप, कितनी नावों में कितनी बार बार
इन के बचपन का नाम क्या था | कितनी नावों में कितनी बार रचना हेतु में नहीं है भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया।इन्होंने प्रथम द्वितीय एवं तृतीय तार सप्तक का संपादन किया। आंगन के पार द्वार रचना हेतु उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला।
दुष्यंत कुमार
1933
बिजनौर, उत्तर प्रदेश
साए में धूप गजल संग्रह, एक कंठ विषपाई नाटिका
इनके पिता भगवत सहाय तथा माता राम किशोरी देवी थी। इन्होंने दसवीं कक्षा से ही कविता लिखना आरंभ कर दिया था। सन 1975 में उनका प्रकाशित हुआ।
रघुवीर सहाय
1929
लखनऊ में
दिल्ली मेरा प्रदेश, रास्ता इधर से है लोग भूल गए हैं
कविता संग्रह लोग भूल गए हैं के लिए 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। दूसरे सप्तक में अपनी रचनाएं  लिखी। 

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Hey there! myself Rahul Kumawat . I post articles about psychology, Sanskrit, Hindi literature, grammar and Rajasthan GK ..

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