हिंदी साहित्य का इतिहास Hindi sahitya ka itihas

Hindi sahitya ka itihas हिंदी साहित्य का इतिहास hindi sahitya ka itihas notes
 हिंदी साहित्य का इतिहास 

साहित्य का इतिहास सामाजिक चेतना के अनुरूप बदलती हुई जनता की चित्तवृत्तियों का ही सृजनात्मक प्रतिफलन होता है। हिंदी साहित्य का इतिहास विक्रम संवत 1050 से अद्यतन काल तक माना गया है। साहित्य के इतिहास में काल विभाजन का मुख्य प्रयोजन विभिन्न ऐतिहासिक परिस्थितियों के संदर्भ में साहित्य की प्रकृति एवं प्रवृत्ति को स्पष्ट करना है। 
 हिंदी साहित्य के काल विभाजन  का आधार सांस्कृतिक राजनीतिक साहित्यिक प्रवृत्ति या कालखंड विशेष को बनाया  गया है। हिंदी साहित्य इतिहास लेखन का प्रथम प्रयास फ्रांसीसी विद्वान गार्सा द तासी द्वारा किया गया। गार्सा द तासी ने इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐंदुई ऐंदुस्तानी नामक ग्रंथ लिखा । राहुल सांकृत्यायन ने हिंदी साहित्य का आरंभ सातवीं शताब्दी से माना है तथा सरहपाद को हिंदी साहित्य का प्रथम कवि स्वीकार किया है। 
हिंदी साहित्य का काल विभाजन --
  1. जॉर्ज ग्रियर्सन का काल विभाजन---
                हिंदी साहित्य के काल विभाजन  हेतु कवियों और लेखकों को  काल क्रमानुसार विभाजन करने का सर्वप्रथम  प्रयास  जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा किया गया ।जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा the modern Vernacular literature of Hindustan  ग्रंथ के रूप में हिंदी साहित्य का इतिहास प्रस्तुत किया गया। जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा हिंदी साहित्य  11 कालों में विभाजित किया। इन्होंने हिंदी साहित्य का प्रारंभ 700 ईस्वी से माना।
  1. मिश्र बंधुओं का काल विभाजन---
           मिश्र बंधुओं ने हिंदी साहित्य के अपने इतिहास ग्रंथ मिश्र बंधु विनोद में जो काल विभाजन किया है वह निम्नलिखित है -
                                        १. आरंभिक काल २ माध्यमिक काल ३ अलंकृत काल ४ परिवर्तन काल ५ वर्तमान काल
  1.  आचार्य रामचंद्र शुक्ल का काल विभाजन-- 
           सन 1929 में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने हिंदी साहित्य का इतिहास ग्रंथ में अपना नया काल विभाजन प्रस्तुत किया। यह ग्रंथ नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित किया गया था।वर्तमान में यही काल विभाजन सर्वमान्य है।आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का मानना था कि प्रत्येक देश का साहित्य वहां की जनता की चित्तवृत्ति का प्रतिबिंब होता है। जनता की चित्तवृत्ति के परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य का स्वरूप भी परिवर्तित होता चला जाता है। 
          आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास को 4 कालों में विभक्त किया-- 
                  १ वीरगाथा काल (आदिकाल )  विक्रम संवत  1050 से 1375 तक 
                  २  भक्ति काल   ( पूर्व मध्यकाल)  विक्रम संवत 1375 से 1700 तक
                  ३   रीतिकाल  ( उत्तर मध्यकाल)   विक्रम संवत 1700 से 1900 तक
                  ४ आधुनिक काल ( गद्य काल)  विक्रम संवत 1900 से अब तक
  1.  आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का काल विभाजन---
                 १ आदिकाल    ---  1000 ईस्वी से 1400 ईस्वी तक
                 २ पूर्व मध्यकाल ----- 1400 ईस्वी से 1700 ईस्वी तक
                 ३  उत्तर मध्यकाल----- 1700 ईस्वी से 1900 ईस्वी तक
                 ४  आधुनिक काल --  1900 ईस्वी  से अब तक











                                                        


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Hey there! myself Rahul Kumawat . I post articles about psychology, Sanskrit, Hindi literature, grammar and Rajasthan GK ..

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