आदिकाल aadikal hindi sahitya

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आदिकाल 


हिंदी साहित्य के इतिहास का प्रारंभ आदिकाल से होता है। हिंदी साहित्य के इतिहास में आदिकाल भाषा और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध काल है। हिंदी साहित्य  में आदिकाल का समय 1050 विक्रम संवत से 1375 विक्रम संवत तक माना जाता है। हिंदी भाषा साहित्यिक अपभ्रंश के साथ-साथ चलती हुई क्रमशः जन भाषा के रूप में साहित्य रचना का माध्यम बन रही थी। जिन परिस्थितियों में आदिकाल का साहित्य रचा गया  उनमें वीरता , ओज,  श्रृंगार और धार्मिक उपदेशों का बाहुल्य था।
 आदिकाल का नामकरण :--
         हिंदी साहित्य के आरंभिक काल के लिए विद्वानों ने अलग-अलग आधारों पर विभिन्न नाम दिए हैं जिनमें वीरगाथा काल,  संधि काल,  चारण काल,  सिद्ध सामंत काल,  बीजवपनकाल  आदि प्रमुख है। 

वीरगाथा काल
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
वीरगाथा आत्मक ग्रंथों की प्रचुरता
आदिकाल
हजारी प्रसाद द्विवेदी 
प्रारंभिक काल होने के कारण
चारण काल
रामकुमार वर्मा 
अधिकांश कवि चारण थे
सिद्ध सामंत काल
राहुल सांकृत्यायन
सिद्धो के साहित्य तथा सामंतों की स्थिति के कारण
बीजवपनकाल
महावीर प्रसाद द्विवेदी
हिंदी साहित्य का बीजारोपण हुआ 

आदिकाल की परिस्थितियां-- 
  1.  राजनीतिक परिस्थितियां --   आदिकाल की परिस्थितियां बदतर थी। हर्षवर्धन का  साम्राज्य पतित हो चुका था। उत्तरी भारत पर यवनों के आक्रमण हो रहे थे।  भारत में महमूद गजनवी ने तथा उसके बाद मोहम्मद गोरी ने शासन किया।तत्कालीन जनता इन शासकों के अत्याचारों से आक्रांत । मोहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत पर शासन किया। तदुपरांत भारत पर गुलाम वंश का आधिपत्य रहा।परिवेश में कवियों ने दरबारी आज से ग्रहण किया और उनकी प्रशस्ति तथा  शौर्य गान किया।
  2. धार्मिक परिस्थितियां  ---- हर्षवर्धन तक राजनीतिक परिवेश की तरह धार्मिक वातावरण ही अच्छा एवं पर्याप्त समृद्धि था किंतु उसके बाद के  शासकों के अत्याचारों एवं कला के प्रति उपेक्षित व्यवहार के कारण साहित्य विकास कम हुआ। 
  3.  सामाजिक परिस्थितियां ---  आदिकालीन समाज भी विभिन्न जातियों एवं वर्गों में बटा हुआ था। समाज असंगठित था।  शिक्षा व्यवस्था का भाव था।
  4.  सांस्कृतिक परिवेश ---  सम्राट हर्षवर्धन के समय तक भारत सांस्कृतिक दृष्टि से संपन्न एवं संगठित था। हर्ष के शासन काल में संधि चित्र मूर्ति एवं स्थापत्य कला का भरपूर विकास हुआ।
  5.  साहित्यिक  परिस्थितियां ---  आदिकालीन साहित्य की मूल विषय वस्तु स्वामी सुखाय थी । इन साहित्य में राजाओं के शौर्य एवं उनकी वीरता की अतिशयोक्ति की प्रधानता थी। आदिकालीन साहित्य की भाषा  अपभ्रंश एवं प्राकृत थी।

 आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियां -- 
  • आश्रयदाताओं की प्रशंसा
  • ऐतिहासिकता का अभाव
  • अप्रमाणिक रचनाएँ
  • युद्धो का सजीव वर्णन
  • राष्ट्रीयता का अभाव
  • वीर तथा श्रृंगार रस
  • विविध छंदों के प्रयोग ( दोहा , रोला , तोटक ,तोमर , गाथा ,आर्या)
  • डिंगल भाषा (राजस्थानी) का प्रयोग
  • काव्य शैली – (मुक्तक तथा प्रबंध)
  • रासो शैली की प्रधानता (गेय काव्य)
  • प्रकृति चित्रण
           

धार्मिक साहित्य
सिद्ध साहित्य
नाथ साहित्य
जैन साहित्य
तांत्रिक क्रियाओं में आस्था एवं मंत्र द्वारा सिद्धि चाहने के कारण इन्हें सिद्धि कहा जाने लगा। राहुल सांकृत्यायन हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इनकी संख्या 84 मानी है। 
सिद्धू द्वारा जन भाषा में लिखा है गया साहित्य सिद्ध साहित्य कहा  जाता है। वस्तुतः यह बौद्ध धर्म के प्रचारार्थ रचा गया। 
नाथ संप्रदाय सिद्धों की परंपरा का विकसित रूप माना जाता है। गोरखनाथ नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक है। इन्होंने शिव को आदिनाथ माना है। इनके योग में संयम एवं सदाचार पर बल दिया गया है। किस संप्रदाय में शब्द से आशय है-- मुक्ति देने वाला।
 नाथ योगियों की संख्या मानी गई है 
सांसारिक विषय वासनाओं पर विजय प्राप्त करने वालों को जैन कहा जाता है। जैन संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य महावीर स्वामी ने। इन्होंने व्रत उपासना पर बल दिया है। जैन साहित्य में नीतियों का प्रमुख उल्लेख है।
रचनाएं--
 सरहपा  ---  सरहपादगीतिका 
 कण्हपा --- कण्हपादगीतिका 
प्रमुख कवि-- 
    गोरखनाथ ,  हरिश्चंद्र ,  नागार्जुन 
प्रमुख रचनाएं--
  स्वयंभू -- स्वयंभू छंदस् , पउम चरिउ (जैन रामायण)  
        स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है । 
 पुष्पदंत ---  णयकुमार चरिउ (नागकुमार चरित)





लौकिक साहित्य
  1. अमीर खुसरो --    खालिकबारी ,   खुसरो की पहेलियां ,  मुकरियां ,  सुखना
  2.  विद्यापति  --  कीर्ति लता,  कीर्ति पताका,  पदावली
  हिंदी साहित्य जगत में विद्यापति मैथिल कोकिल के नाम से विख्यात है। उनका जन्म 1368 ईसवी में हुआ। विद्यापति जी को कृष्ण भक्ति काव्य की रचना करने वाला हिंदी का प्रारंभिक कभी स्वीकार किया जाता है। इनके प्रथम आश्रय जाता राजा कीर्ति सिंह थे। इन्हीं की प्रशंसा में उनके द्वारा कीर्ति लता एवं कीर्ति पताका कृतियों की रचना की गई।  इनकी प्रसिद्धि का  प्रमुख आधार पदावली को माना जाता है। 



चारण साहित्य
वीरगाथात्मक  रासो काव्य
श्रृंगारपरक  रासो काव्य
धार्मिक रासो काव्य
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने इसे आदिकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्ति मानते हुए आदिकाल का नाम वीरगाथाकाल रखा। आश्रय दाताओं की प्रशंसा में जो काव्य रचित हुआ वह वीरगाथात्मक रासो के अंतर्गत आता है। इस काव्य के रचयिता राजाओं के दरबारों में रहने वाले चारण अथवा भाग थे इस प्रकार यह काव्य प्रवृत्ति स्वामिन: सुखाय थी।
किस वर्ग के अंतर्गत रासो साहित्य में श्रृंगार रस की प्रधानता होती है।
इस वर्ग के अंतर्गत देश पर ग्रंथ आते हैं।
रचनाएं--
  1.  खुमाण रासो  -- दलपति विजय
  इस कृति में मेवाड़ के महाराजा बप्पा रावल से लेकर महाराजा राजसिंह तक का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें प्रमुख रूप से राजाखुमाण का चरित्र वर्णन है।

  1.  हम्मीर रासो  ---  शारंगधर
 यह रचना उपलब्ध नहीं है । उसके केवल 8  पद्य उपलब्ध है ।

  1.  विजयपाल रासो ---  नल्हसिंह भाट
 किस ग्रंथ में विजयगढ़ (करौली)  के शासक विजयपाल का चरित्र वर्णन किया गया है। इसमें पंग राजा एवं विजय पाल सिंह के मध्य हुए युद्ध का वर्णन भी उपलब्ध है।

  1.  पृथ्वीराज रासो ---  चंदबरदाई
पृथ्वीराज रासो को हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य तथा चंद्रवरदाई को प्रथम कवि माना जाता है।
  1. परमाल रासो --  जगनिक
 इसमें आल्हा उदल का वर्णन है।   
रचनाएं--
  1.  संदेश रासक --  अब्दुल रहमान
इस काव्य में विजयनगर में रहने वाली एक स्त्री की वियोगगाथा का मार्मिक वर्णन किया गया है। नायिका का पति गुजरात चला जाता है। नायिका अपने ग्रह का संदेश  एक राहगीर के द्वारा अपने पति तक पहुंचाने हे तू कहती है तभी उसका मालिक आता हुआ दिखाई देता है।

  1.  बीसलदेव रासो ---  नरपति नाल्ह
 राजा विग्रहराज (बीसलदेव)  अपनी पत्नी के व्यंग्य बाणों से रुष्ट होकर उड़ीसा राज्य चले जाते हैं एवं 12 वर्षों तक नहीं  लौटते  हैं।
रचनाएं--
  भारतेश्वर बाहुबली रास -- सालीभद्र सूरी
    इस ग्रंथ में ऋषभदेव के दो पुत्रों भरत एवं बाहुबली के युद्ध का वर्णन है।
  



                                                        

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Hey there! myself Rahul Kumawat . I post articles about psychology, Sanskrit, Hindi literature, grammar and Rajasthan GK ..

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