आधुनिक हिंदी साहित्य का आरंभ 19वीं शताब्दी के आरंभ से माना जाता है। हिंदी साहित्य के इतिहास में रीतिकाल के बाद चतुर्थ काल आधुनिक काल का आता है। इसका आरंभ 1850 के आसपास से माना जाता है।यह सन भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का जन्म काल है। उस दौरान विभिन्न आंदोलन, संघर्ष और 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ।भारतीय और यूरोपीय संस्कृति और आदर्शों के संघर्षों से भारतीय जीवन में नवजागरण का स्पंदन प्रारंभ हुआ था। इस कारण भारतेंदु युग को पुनर्जागरण काल भी करते हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य का आरंभ भारतेंदु युग से माना जाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के युग प्रवर्तक एवं मील के पत्थर कहे जाते हैं। आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रवर्तन में भारतेंदु जी की भूमिका अग्रणी है। भारतेंदु एवं उनके मंडल ने साहित्य को रीति प्रवृत्तियों के घेरे से बाहर निकाल कर जनता से जोड़ा।आधुनिक काल को आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने गद्य काल के नाम से अभिहित किया है।शुक्ला जी के अनुसार आधुनिक काल निम्न युगों में विभक्त है --
आधुनिक युग के दौरान सांस्कृतिक पुनर्जागरण में विभिन्न संस्थाओं का योगदान--
- ब्रह्म समाज -- राजा राममोहन राय ने सन 1829 ईस्वी में राष्ट्रीय जागरण एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए ब्रह्म समाज की स्थापना की । उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए लोगों को बताया कि भारतीय परंपरा का विशुद्ध रूप ब्रह्म उपासना है। अतः राजा राममोहन राय ने कर्मकांड, अंधविश्वास, मूर्ति पूजा, बाह्य आडंबर, जाति प्रथा, सती प्रथा आदि बुराइयों का प्रबल विरोध किया। उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।राजाराम मोहन राय ने संवाद कौमुदी की रचना की|
- आर्य समाज---आर्य समाज की स्थापना सन 1867 में दयानंद सरस्वती द्वारा की गई । स्वामी जी ने कच्चे कार्य के लिए आर्य भाषा पढ़ना आवश्यक ठहराया । आर्य समाज ने हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में जो महत्वपूर्ण योगदान दिया वह सदैव स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा दयानंद सरस्वती जी ने अपनी प्रसिद्ध रचना सत्यार्थ प्रकाश मैं ईसाई एवं मुस्लिम धर्मों की आलोचना की है ।
- रामकृष्ण मिशन-- रामकृष्ण मिशन की स्थापना रामकृष्ण परमहंस के स्वर्ग गमन के बाद उनके शिष्य विवेकानंद ने की थी । सन 18 सो 93 विवेकानंद सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए शिकागो गए । उन्होंने विश्व के समक्ष भारतीय संस्कृति, दर्शन एवं धर्म की महत्ता को प्रस्तुत किया ।
- थियोसोफिकल सोसायटी--इस संस्था की स्थापना सन 18 सो 75 ईस्वी में मैडम ब्लावस्तु और ओनकार्ट द्वारा न्यूयॉर्क में हुई थी | श्रीमती एनी बेसेंट 1888 में संस्था से जुड़ी | बनारस का सेंट्रल हिंदू कॉलेज की सोसाइटी द्वारा स्थापित किया गया ।
आधुनिक युग की प्रमुख प्रवृत्तियां --
- खड़ीबोली हिंदी की प्रधानता
- राष्ट्रीयता की भावना
- प्रकृति-सौंदर्य
- नारी के प्रति नवीन दृष्टिकोण