हिंदी साहित्य के सभी युगों की विशेषताएं / प्रवृत्तियाँ hindi sahitya ke sabhi yugon ki visheshtayen /pravritiyan
aadikal ki visheshtaen pravritiyan
ritikal ki visheshtaen pravritiyan
bhakti kaal ki visheshtaen pravritiyan ki visheshtaen pravritiyan
adhunik ka ki visheshtaen pravritiyan
prayogvad ki visheshtaen pravritiyan
sidh sahityal ki visheshtaen pravritiyan
chhayavad ki visheshtaen pravritiyan
pragativad ki visheshtaen pravritiyan
nai kavita ki visheshtaen pravritiyan
हिंदी साहित्य के सभी युगों की विशेषताएं / प्रवृत्तियाँ
युग |
विशेषताएं / प्रवृत्तियाँ |
आदिकाल
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- विविध छंदों के प्रयोग ( दोहा , रोला , तोटक ,तोमर , गाथा ,आर्या)
- काव्य शैली – (मुक्तक तथा प्रबंध)
- रासो शैली की प्रधानता (गेय काव्य)
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भक्तिकाल
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- अलौकिक साहित्य ( आध्यात्मिक रचनाएँ)
- सगुण तथा निर्गुण ब्रह्म की उपासना
- ब्रजभाषा एवं अवधी भाषा का प्रयोग
- काव्य शैली (मुक्तक तथा प्रबंध)
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रीतिकाल
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- लौकिक श्रृंगारिकता (कामुकता)
- वीररस व श्रृंगार रस का प्रवाह
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आधुनिक काल
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- खड़ीबोली हिंदी की प्रधानता
- नारी के प्रति नवीन दृष्टिकोण
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भारतेंदु युग
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द्विवेदी युग
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- खड़ीबोली हिंदी की प्रधानता
- काव्य शैली – (मुक्तक तथा प्रबंध)
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छायावाद
(खड़ीबोली काव्य का स्वर्णकाल) |
- प्रकृति-सौंदर्य और प्रेम की व्यंजना
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प्रगतिवाद
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- सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण
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प्रयोगवाद
( प्रयोगवादी कविता का
जन्म सन १९४३ में प्रकाशित तारसप्तक नामक संग्रह से माना जाता है .इसके संपादक
अज्ञेय है .इसमें सात कवियों की कविताओं का संकलन किया गया है)
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- खड़ीबोली हिंदी की प्रधानता
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नयी कविता
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myself Rahul Kumawat . I post articles about psychology, Sanskrit, Hindi literature, grammar and Rajasthan GK ..